मोटापा क्या है?
मोटापा एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें शरीर में अत्यधिक चर्बी जमा हो जाती है जो आपके संपूर्ण स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकती है। यह केवल वज़न बढ़ने तक सीमित नहीं है बल्कि मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, ऑस्टिओआर्थरिटिस और स्लीप एपनिया जैसी कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बनता है। सामान्यत: किसी व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 30 या उससे अधिक होने पर उसे मोटापा माना जाता है।
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भारत में मोटापे की समस्या लगातार बढ़ रही है। हाल के अध्ययनों के अनुसार, देश में लगभग 135 मिलियन लोग मोटापे से प्रभावित हैं, और यह संख्या आने वाले वर्षों में और अधिक बढ़ने की संभावना है। मोटापा न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गया है। विस्तृत जानकारी के लिए आप भारत में मोटापे की स्थिति देख सकते हैं।
मोटापा कैसे मापा जाता है (BMI और कमर की परिधि)
मोटापा मापने के लिए सबसे आम और मान्य तरीकों में बॉडी मास इंडेक्स (BMI) और कमर की परिधि शामिल हैं। इन दोनों मापों के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति के शरीर में अतिरिक्त वसा का स्तर स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर रहा है या नहीं। मोटापा केवल वजन बढ़ने तक सीमित नहीं है बल्कि इसका सही आकलन शरीर में वसा के वितरण और अनुपात से होता है।
बॉडी मास इंडेक्स (BMI):
BMI शरीर के वजन और लंबाई के आधार पर निकाला जाता है। इसका फॉर्मूला है:
BMI = वजन (किलोग्राम) ÷ लंबाई (मीटर)²
- यदि BMI 18.5 से कम है तो व्यक्ति को अंडरवेट माना जाता है।
- 18.5 से 24.9 सामान्य वजन की श्रेणी मानी जाती है।
- 25 से 29.9 ओवरवेट और
- 30 या उससे अधिक BMI को मोटापा (Obesity) कहा जाता है।
कमर की परिधि (Waist Circumference):
कमर की परिधि मापने से यह पता चलता है कि शरीर में वसा पेट के आसपास कितनी मात्रा में जमा है।
पुरुषों में यदि कमर की परिधि 102 सेमी (40 इंच) से अधिक है
और महिलाओं में यदि कमर की परिधि 88 सेमी (35 इंच) से अधिक है
तो इसे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है।
BMI और कमर की परिधि दोनों का उपयोग करके डॉक्टर मोटापे से जुड़ी बीमारियों जैसे हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का जोखिम समझने में मदद लेते हैं।
मोटापे के कारण
मोटापा कई कारणों से हो सकता है और यह केवल अधिक खाने या कम शारीरिक गतिविधि तक सीमित नहीं है। मोटापे के कारण अक्सर जीवनशैली, आनुवंशिकता और स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़े होते हैं। जब हम शरीर की जरूरत से ज्यादा कैलोरी खाते हैं और उसे खर्च नहीं कर पाते, तो अतिरिक्त ऊर्जा वसा के रूप में जमा हो जाती है।
कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- असंतुलित आहार – अधिक तैलीय, मीठा और जंक फूड खाना।
- शारीरिक गतिविधि की कमी – नियमित व्यायाम या चलने-फिरने की आदत न होना।
- अनुवांशिकता – परिवार में मोटापे का इतिहास होना।
- हार्मोनल और स्वास्थ्य समस्याएं – थायरॉइड की समस्या, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या अन्य मेटाबॉलिक रोग।
- तनाव और नींद की कमी – नींद का अभाव और तनाव हार्मोनल असंतुलन पैदा कर वजन बढ़ा सकता है।
- दवाइयों का प्रभाव – कुछ दवाएं, जैसे एंटीडिप्रेशन या स्टेरॉयड, वजन बढ़ाने का कारण बन सकती हैं।
इन कारणों को समझना जरूरी है ताकि समय रहते मोटापे की रोकथाम और नियंत्रण किया जा सके।
मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं
मोटापा केवल बाहरी रूप को प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह पूरे शरीर पर गहरा असर डालता है। मोटापे से ग्रसित व्यक्ति में टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा सामान्य व्यक्तियों की तुलना में कई गुना अधिक होता है। शरीर में अतिरिक्त वसा जमा होने से इंसुलिन का प्रभाव कम हो जाता है, जिससे शुगर लेवल नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है और डायबिटीज की संभावना बढ़ती है।
मोटापा स्लीप एपनिया का कारण बन सकता है, जिसमें नींद के दौरान सांस बार-बार रुकती है। यह स्थिति न केवल नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करती है बल्कि लंबे समय में हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ाती है। इसी तरह ऑस्टिओआर्थरिटिस और घुटनों में दर्द मोटापे के कारण आम हो जाते हैं, क्योंकि अधिक वजन से हड्डियों और जोड़ों पर लगातार दबाव पड़ता है।
पेट के आसपास अधिक चर्बी जमने से फैटी लिवर डिजीज की संभावना बढ़ जाती है, जो आगे चलकर लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में बदल सकता है। महिलाओं में मोटापा हॉर्मोनल असंतुलन, मासिक धर्म की अनियमितता और गर्भधारण में कठिनाई जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। पुरुषों में भी यह प्रजनन क्षमता और टेस्टोस्टेरोन लेवल को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा, मोटापा केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है। यह मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। कई लोग आत्मविश्वास की कमी, अवसाद और चिंता जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। धीरे-धीरे यह स्थिति सामाजिक अलगाव और जीवन की गुणवत्ता में गिरावट का कारण बन सकती है।
मोटापे के लक्षण
मोटापा धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरुआत में कई बार लोग इसे सामान्य वजन बढ़ने की तरह मान लेते हैं। लेकिन कुछ खास लक्षण ऐसे होते हैं जो बताते हैं कि वजन केवल बढ़ नहीं रहा, बल्कि मोटापा बनने लगा है।
मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:
तेजी से वजन बढ़ना – शरीर का वजन लगातार बढ़ते रहना और आसानी से कम न होना।
कमर और पेट पर चर्बी जमा होना – पेट का बाहर निकलना और कमर का मोटा होना मोटापे का सबसे बड़ा संकेत है।
जल्दी थकान महसूस होना – थोड़ी सी शारीरिक गतिविधि करने पर भी सांस फूलना या थकावट होना।
सांस लेने में तकलीफ – सीढ़ियां चढ़ते समय या तेज चलने पर सांस रुक-रुक कर आना।
जोड़ों और घुटनों में दर्द – बढ़ते वजन से हड्डियों और जोड़ों पर दबाव पड़ना।
पसीना ज्यादा आना – शरीर की अतिरिक्त चर्बी से गर्मी बढ़ती है और पसीना ज्यादा आता है।
नींद की समस्या – मोटे लोगों को नींद ठीक से न आना या स्लीप एपनिया जैसी समस्या होना।
खुद पर आत्मविश्वास कम होना – मोटापे के कारण शारीरिक बनावट बदल जाती है जिससे कई बार आत्मविश्वास प्रभावित होता है।
अगर ये लक्षण लगातार बने रहें तो यह संकेत है कि शरीर पर मोटापे का असर शुरू हो गया है।
मोटापे की जांच और डायग्नोसिस
मोटापा केवल वजन बढ़ने का नाम नहीं है, बल्कि इसे सही तरीके से मापा और पहचाना जाता है। डॉक्टर अलग-अलग तरीकों से जांच करके यह तय करते हैं कि किसी व्यक्ति को मोटापा है या नहीं।
मुख्य जांच और डायग्नोसिस के तरीके इस प्रकार हैं:
बॉडी मास इंडेक्स (BMI) –
यह सबसे सामान्य तरीका है। इसमें वजन (किलोग्राम) को ऊँचाई (मीटर) के वर्ग से विभाजित करके BMI निकाला जाता है।
18.5 से कम – कम वजन
18.5 से 24.9 – सामान्य
25 से 29.9 – अधिक वजन (ओवरवेट)
30 या उससे ज्यादा – मोटापा
कमर-कूल्हे का अनुपात (Waist to Hip Ratio) –
कमर और कूल्हे के माप को देखकर पता लगाया जाता है कि फैट पेट में ज्यादा है या नहीं। पेट पर फैट जमा होना दिल और डायबिटीज जैसी बीमारियों का बड़ा कारण है।
कमर का माप (Waist Circumference) –
पुरुषों में 102 सेंटीमीटर और महिलाओं में 88 सेंटीमीटर से अधिक कमर होना मोटापे का संकेत है।
बॉडी फैट एनालिसिस –
विशेष मशीनों से यह जांच की जाती है कि शरीर में कितनी प्रतिशत चर्बी (Fat Percentage) है।
ब्लड टेस्ट और अन्य जांच –
कभी-कभी मोटापे से संबंधित समस्याओं की पुष्टि के लिए ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, थायरॉयड और लिवर की जांच भी की जाती है।
इन जांचों से यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यक्ति केवल ओवरवेट है या मोटापे से ग्रस्त है।
मोटापे का उपचार और प्रबंधन
मोटापे का उपचार और प्रबंधन कई स्तरों पर किया जाता है। सही समय पर कदम उठाने से न केवल वजन नियंत्रित किया जा सकता है बल्कि उससे जुड़ी बीमारियों जैसे डायबिटीज, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप के खतरे को भी कम किया जा सकता है।
आहार में बदलाव
मोटापा नियंत्रित करने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है संतुलित आहार। इसमें कम वसा और अधिक प्रोटीन वाले भोजन, साबुत अनाज, फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और मीठे पेय पदार्थों से बचना आवश्यक है।
व्यायाम और सक्रिय जीवनशैली
मोटापे को काबू में रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना सबसे उपयोगी तरीका माना जाता है। रोजाना लगभग 30 से 45 मिनट तक तेज कदमों से चलना, योगाभ्यास करना, साइकिल चलाना या फिर तैराकी करना शरीर के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होता है। इसके साथ ही दिनचर्या में छोटी-छोटी सक्रिय आदतें जैसे सीढ़ियों का उपयोग करना या पैदल चलना भी मददगार साबित होते हैं।
दवाइयाँ
कुछ गंभीर मामलों में डॉक्टर वजन नियंत्रित करने के लिए दवाइयाँ लिख सकते हैं। ये दवाइयाँ भूख कम करने या वसा अवशोषण को घटाने का काम करती हैं। हालांकि इनका प्रयोग हमेशा चिकित्सक की निगरानी में होना चाहिए।
बैरिएट्रिक सर्जरी
जब मोटापा बहुत अधिक हो जाता है और अन्य उपाय कारगर नहीं होते, तब बैरिएट्रिक सर्जरी एक विकल्प हो सकती है। इसमें पेट का आकार छोटा किया जाता है ताकि भोजन की मात्रा कम हो सके और शरीर की कैलोरी खपत घटे।
मोटापा कम करने के उपाय
मोटापा केवल दिखने में बदलाव ही नहीं लाता बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इसलिए इसे नियंत्रित करना बेहद ज़रूरी है। मोटापा कम करने के लिए कुछ आसान और प्रभावी उपाय निम्नलिखित हैं:
डाइट कंट्रोल
सही खानपान मोटापा नियंत्रित करने की दिशा में पहला कदम है। संतुलित आहार में फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज, और प्रोटीन शामिल करना चाहिए। तैलीय और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से बचना ज़रूरी है। दिन में छोटी-छोटी मात्रा में कई बार खाना लेने से भी वजन नियंत्रण में मदद मिलती है।
कैलोरी का संतुलन
वजन घटाने के लिए कैलोरी इन्टेक और कैलोरी बर्न के बीच संतुलन होना आवश्यक है। अधिक कैलोरी लेने से शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा होती है। रोजाना की गतिविधियों और व्यायाम से जितनी कैलोरी खर्च होती है, उसके अनुसार ही भोजन का सेवन करना चाहिए। भोजन की मात्रा पर ध्यान देना और फूड लेबल पढ़ना इसमें मददगार हो सकता है।
सही नींद और तनाव नियंत्रण
नींद पूरी न होना और मानसिक तनाव, दोनों ही मोटापा बढ़ने की संभावना को अधिक कर देते हैं। स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन सात से आठ घंटे की गहरी और आरामदायक नींद लेना आवश्यक है। तनाव को नियंत्रित करने के लिए योगाभ्यास, ध्यान तथा श्वास से जुड़े व्यायाम लाभदायक सिद्ध होते हैं। तनाव मुक्त और संतुलित जीवनशैली मोटापा घटाने की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाती है।
इन उपायों को अपनाकर धीरे-धीरे वजन पर नियंत्रण पाया जा सकता है और जीवन को स्वस्थ बनाया जा सकता है।
मोटापा कम करने की एक्सरसाइज
मोटापा कम करने के लिए नियमित व्यायाम बेहद जरूरी है। व्यायाम न केवल अतिरिक्त कैलोरी जलाने में मदद करता है बल्कि यह मेटाबॉलिज्म को भी तेज करता है और शरीर को फिट बनाए रखता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रतिदिन लगभग 30 से 45 मिनट तक नियमित शारीरिक गतिविधि करने से वजन नियंत्रण में रहता है और मोटापा घटाने में लाभ मिलता है।
एरोबिक एक्सरसाइज
एरोबिक गतिविधियां जैसे तेज चलना, जॉगिंग, साइकिल चलाना और तैराकी मोटापा कम करने में सबसे प्रभावी मानी जाती हैं। ये व्यायाम हृदय और फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं और लगातार कैलोरी बर्न करने में मदद करते हैं।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
वजन उठाने वाले व्यायाम या बॉडीवेट एक्सरसाइज (जैसे पुश-अप्स, स्क्वाट्स, लंजेस) करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। मांसपेशियां शरीर में ज्यादा ऊर्जा खर्च करती हैं जिससे आराम की स्थिति में भी कैलोरी बर्न होती रहती है।
योग और प्राणायाम
योगासन जैसे सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, भुजंगासन और प्राणायाम न केवल वजन कम करने में मदद करते हैं बल्कि मानसिक शांति और तनाव कम करने में भी सहायक होते हैं।
हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT)
HIIT वर्कआउट्स, जिनमें कम समय के लिए ज्यादा तीव्रता वाले व्यायाम और फिर छोटे-छोटे ब्रेक शामिल होते हैं, तेजी से वजन घटाने के लिए बहुत प्रभावी माने जाते हैं।
नियमितता का महत्व
किसी भी एक्सरसाइज का असर तभी दिखता है जब उसे नियमित रूप से किया जाए। धीरे-धीरे शुरुआत करें और समय और तीव्रता को धीरे-धीरे बढ़ाएं।
याद रखें, एक्सरसाइज के साथ संतुलित आहार और पर्याप्त नींद भी जरूरी है, तभी मोटापा कम करने के प्रयास लंबे समय तक सफल हो पाते हैं।
मोटापा कम करने के घरेलु उपाय
मोटापा कम करने के लिए घरेलु उपाय आसान, किफायती और सुरक्षित तरीके हो सकते हैं। ये उपाय आपके रोज़मर्रा की आदतों में शामिल होकर धीरे-धीरे वजन नियंत्रित करने में मदद करते हैं। नीचे कुछ प्रभावी घरेलु नुस्खे दिए गए हैं:
गुनगुना पानी और नींबू
सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर पीना मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और फैट बर्न करने में मददगार होता है।
ग्रीन टी या हर्बल टी
ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है और शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने में मदद करती है। इसे दिन में 2-3 बार पिया जा सकता है।
अजवाइन और मेथी के बीज
रातभर पानी में भिगोकर रखे हुए अजवाइन या मेथी के बीज सुबह खाली पेट सेवन करने से पाचन सुधरता है और फैट जमा होने की संभावना कम होती है।
अदरक और शहद
अदरक का सेवन शहद के साथ करने से शरीर की चर्बी घटाने और भूख पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है।
फाइबर युक्त आहार
फल, सब्ज़ियां, दालें और साबुत अनाज जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है और ज़रूरत से ज़्यादा खाने की आदत कम होती है।
पानी का पर्याप्त सेवन
दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है, भूख नियंत्रित होती है और टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं।
नियमित नींद और तनाव नियंत्रण
अच्छी नींद और तनाव से मुक्ति भी मोटापा कम करने के घरेलु उपायों में शामिल हैं। तनाव और नींद की कमी से वजन तेजी से बढ़ सकता है।
ध्यान रखें कि ये घरेलु उपाय तभी प्रभावी होते हैं जब इन्हें संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के साथ अपनाया जाए।
बैरिएट्रिक सर्जरी और वजन कम करने के आधुनिक विकल्प
जब सामान्य उपाय जैसे डाइट कंट्रोल, व्यायाम और दवाइयाँ मोटापे को नियंत्रित करने में पर्याप्त असर नहीं दिखाते, तब बैरिएट्रिक सर्जरी एक प्रभावी विकल्प हो सकती है। यह सर्जरी पाचन तंत्र की संरचना में बदलाव करके अतिरिक्त वजन कम करने में मदद करती है। बैरिएट्रिक सर्जरी न केवल वजन घटाने में सहायक होती है, बल्कि डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और स्लीप एपनिया जैसी मोटापे से जुड़ी गंभीर बीमारियों के खतरे को भी कम करती है।
बैरिएट्रिक सर्जरी के प्रमुख प्रकार हैं:
गैस्ट्रिक बाईपास (Gastric Bypass): इस प्रक्रिया में पेट का आकार इतना कम कर दिया जाता है कि थोड़ी सी मात्रा में भोजन लेने पर ही व्यक्ति को तृप्ति महसूस होने लगती है।
स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी (Sleeve Gastrectomy): पेट के अधिकांश भाग को निकालकर इसे स्लीव के आकार जैसी आकृति में बदल दिया जाता है।
एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंडिंग (Adjustable Gastric Banding): पेट के ऊपरी हिस्से में एक खास बैंड लगाया जाता है जो भोजन की मात्रा को सीमित करने में मदद करता है।
आज के समय में Park Group of Hospitals बैरिएट्रिक सर्जरी के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों और विशेषज्ञ सर्जनों के साथ बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर रहा है। यहाँ मरीजों को सुरक्षित, सटीक और व्यक्तिगत देखभाल दी जाती है ताकि वे न केवल वजन कम कर सकें बल्कि एक स्वस्थ और सक्रिय जीवन भी जी सकें।
बैरिएट्रिक सर्जरी उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनका BMI बहुत अधिक है या जिन्हें मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएँ लगातार परेशान कर रही हैं। आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ मार्गदर्शन से यह प्रक्रिया सुरक्षित और दीर्घकालिक परिणाम प्रदान करती है।
निष्कर्ष: स्वस्थ जीवनशैली से मोटापे पर नियंत्रण
मोटापा केवल दिखावे की समस्या नहीं है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों की जड़ भी है। अगर इसे समय पर नियंत्रित न किया जाए, तो यह डायबिटीज, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और जोड़ों की तकलीफ जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है। अच्छी बात यह है कि मोटापा पूरी तरह से रोका और नियंत्रित किया जा सकता है।
संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, पर्याप्त नींद लेना और तनाव को सही तरीके से प्रबंधित करना मोटापे से लड़ने के सबसे प्रभावी उपाय हैं। साथ ही, अगर जीवनशैली सुधार से भी वजन पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है, तो बैरिएट्रिक सर्जरी जैसे आधुनिक चिकित्सा विकल्प भी उपलब्ध हैं। Park Hospital उन्नत तकनीक और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम के साथ सुरक्षित और प्रभावी बैरिएट्रिक सर्जरी सेवाएँ प्रदान करता है, जिससे मरीजों को लंबे समय तक स्थायी परिणाम मिलते हैं।
अंत में, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। सही समय पर सही कदम उठाकर न केवल मोटापा नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि जीवन को अधिक ऊर्जावान और स्वस्थ भी बनाया जा सकता है।
मोटापे से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs Related to Obesity)
मोटापा क्या है और यह कैसे बढ़ता है?
मोटापा शरीर में अत्यधिक चर्बी जमा होने की स्थिति है। यह असंतुलित आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, अनुवांशिक कारणों, हार्मोनल असंतुलन और अस्वस्थ जीवनशैली के कारण बढ़ता है।
मोटापा किन-किन बीमारियों का कारण बन सकता है?
मोटापा डायबिटीज, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल बढ़ना, स्ट्रोक, लिवर और किडनी की समस्याएँ तथा जोड़ों की तकलीफ जैसी बीमारियों का मुख्य कारण बन सकता है।
मोटापा कम करने के लिए कौन से घरेलू उपाय कारगर हैं?
संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, पर्याप्त पानी पीना, समय पर भोजन करना और नींद पूरी लेना मोटापा कम करने के प्रमुख घरेलू उपाय हैं।
क्या मोटापा केवल खानपान की वजह से होता है?
नहीं, मोटापा केवल खाने से नहीं बढ़ता। यह अनुवांशिक कारणों, हार्मोनल असंतुलन, दवाओं के साइड इफेक्ट और तनाव जैसी वजहों से भी हो सकता है।
बैरिएट्रिक सर्जरी मोटापा कम करने में कैसे मदद करती है?
बैरिएट्रिक सर्जरी पेट के आकार को छोटा कर देती है और पाचन प्रक्रिया में बदलाव करती है। इससे व्यक्ति कम भोजन खाता है और जल्दी तृप्ति महसूस करता है। Park Group of Hospitals में यह सर्जरी आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ टीम द्वारा सुरक्षित तरीके से की जाती है।
क्या मोटापा पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है?
हाँ, मोटापा सही जीवनशैली, संतुलित आहार, व्यायाम और आवश्यक होने पर चिकित्सा उपचार की मदद से नियंत्रित और कम किया जा सकता है।